जन्म 28 सितंबर, 1836 को हुआ था. हालांकि उनके जन्म स्थान, जन्म दिवस या उनके असली नाम के बारे में सही-सही कोई नहीं जानता है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, साईं का जीवन 1838-1918 के बीच है. साई एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु और फकीर थे, जो धर्म की सीमाओं में नहीं बंधे थे. सच तो यह है कि उनके अनुयायियों में हिंदू और मुसलमानों की संख्या बराबर थी. श्रद्धा और सबूरी यानी संयम उनके विचार-दर्शन का सार है. उनके अनुसार कोई भी इंसान अपार धैर्य और सच्ची श्रद्धा की भावना रखकर ही ईश्वर की प्राप्ति कर है.
कहा जाता है कि सोलह वर्ष की अवस्था में साईं महाराष्ट्र के अहमदनगर के शिरडी गांव पहुंचे और जीवनपर्यन्त उसी स्थान पर निवास किया. कुछ लोग मानते थे कि साईं के पास अद्भुत दैवीय शक्तियां थीं, जिनके सहारे वे लोगों की मदद किया करते थे. लेकिन खुद कभी साईं ने इस बात को नहीं स्वीकारा. वे कहा करते थे कि मैं लोगों की प्रेम भावना का गुलाम हूं. सभी लोगों की मदद करना मेरी मजबूरी है. सच तो यह है कि साईं हमेशा फकीर की साधारण वेश-भूषा में ही रहते थे. वे जमीन पर सोते थे और भीख मांग कर अपना गुजारा करते थे. कहते हैं कि उनकी आंखों में एक दिव्य चमक थी, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थी. साई बाबा का एक ही मिशन था - लोगों में ईश्वर के प्रति विश्वास पैदा करना.
Born28 September 1835
Pathri, Maharashtra,India[1][2][3][4][5]Died15 October 1918 (aged 83)
Shirdi, Maharashtra, IndiaNationalityIndianGuruVenkusaPhilosophyBhakti Yoga, Jnana Yoga, Karma Yoga, Self-Realization[6]Notable disciple(s)Mhalsapati, Madhav Rao (shama), Nanasaheb Chandorkar, Tatya Patil, Kakasaheb Dixit, Hemadpant, Bhuti, Das Ganu, Lakshmi Bai, Nanavali, Upasni Maharaj, Abdul BabaQuotationShraddha - Saburi (faith - patience)
Pathri, Maharashtra,India[1][2][3][4][5]Died15 October 1918 (aged 83)
Shirdi, Maharashtra, IndiaNationalityIndianGuruVenkusaPhilosophyBhakti Yoga, Jnana Yoga, Karma Yoga, Self-Realization[6]Notable disciple(s)Mhalsapati, Madhav Rao (shama), Nanasaheb Chandorkar, Tatya Patil, Kakasaheb Dixit, Hemadpant, Bhuti, Das Ganu, Lakshmi Bai, Nanavali, Upasni Maharaj, Abdul BabaQuotationShraddha - Saburi (faith - patience)