May shayri

न सोचा न समझा न सीखा न जाना, मुझे आ गया ख़ुदबख़ुद दिल लगाना..!! ज़रा देख कर अपना जल्वा दिखाना, सिमट कर यहीं आ न जाये ज़माना..!! ज़ुबाँ पर लगी हैं वफ़ाओं कि मुहरें, ख़मोशी मेरी कह रही है फ़साना..!! गुलों तक लगायी तो आसाँ है लेकिन, है दुशवार काँटों से दामन बचाना..!!