tin Ayam ...

म :तीन आयाम ! १ कविता ना तो मै कवि हू ऒर ना ही कविताये है मेरे दिल मे,दिमाग मे कविताये तो है, तुम्हारी उगलियो की, पोरो मे जैसे ही तुम आती हो, सहलाती हो, झरने लगती है कविताये झर-झर ! (२) नदी ! बहती रहती हो तुम निर्मल,निश्छल सी हरदम मै आता हू अन्जुरी भर भरता हू तुम्हे.. ऒर अपने उपर छिडक, लॊट आता हू त्रप्तिता को साथ लिये चुप-चाप ! (३) शब्द ! कुछ दिनो से, चुनता रहा हू कुछ शब्द आज बिन तरासे ही छोड आया हू उन्हे तुम्हारी देहरी पर, रात सोने से पहले रखना उन्हे अपने तकिये के नीचे सुबह खिले मिले तो बताना ! ----०----